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बजट 2010-12

पिछले 10-15 सालों में भारत के युवाओं में एक अहम परिवर्तन की बयार आई है। उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ है। एक बेहद आकर्षक आत्मविश्वास के साथ भारतीय युवा चमका है। यह भारतीय युवा के कुशल मस्तिष्क की ही तारीफ है कि वैश्विक स्तर पर उस पर विश्वास किया जा रहा है। यही कारण है कि युवा किसी भी देश का भविष्य व वर्तमान दोनों एक साथ होते हैं। भारत की एक बडी जनसंख्या इसी वर्ग की है। इनके ही मजबूत कंधों पर देश की तरक्की की जिम्मेदारी है। आर्थिक समीक्षा 2010-11 के अनुसार भारत 9 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की ओर अग्रसर है, जो लगभग चीन जैसी उच्च आर्थिक वृद्धि दर के बराबर है। भारत के आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होने की कहानी युवा वर्ग ने ही अपनी मेहनत व बुद्धिमत्ता से लिखी है। यही कारण है कि बजट में युवा वर्ग के लिए खास ध्यान दिया गया है, ताकि उसे बेहतर स्पेस मिले और देश को तरक्की के रास्ते पर ले जा सके।

आर्थिक समीक्षा और जॉब

बजट के पूर्व वित्तमंत्री द्वारा पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश वैश्विक आर्थिक संकट से तो पिछले वर्ष ही बाहर आ गया था और इस वर्ष वह मंदी के पहले की आर्थिक रफ्तार पकड चुका है और 2010-11 में आर्थिक वृद्धि दर 9 फीसदी के आसपास रह सकती है। अगले वित्त वर्ष में इसके 9 फीसदी को पार कर जाने की उम्मीद है। देश की इतनी उच्च आर्थिक वृद्धि के पीछे मुख्य हाथ मैन्यूफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टरों का है। इसमें भी सर्विस सेक्टर शीर्ष पर है। बजट में जिस तरह के प्रावधान किए गए हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि आने वाले वक्त में युवा वर्ग के लिए कई सेक्टरों में जॉब की काफी अपॉर्चुनिटीज खुली हुई हैं।

एजुकेशन में 24 फीसदी की वृद्धि

इस वर्ष के आम बजट में शिक्षा के आवंटन में 24 फीसदी की वृद्धि की गई है। चालू वित्त वर्ष में शिक्षा पर कुल व्यय का लक्ष्य 52,857 करोड रुपए निर्धारित किया गया है। इसमें से सर्व शिक्षा अभियान के लिए कुल आवंटन 21,000 करोड रुपए है। शिक्षा के लिए कुल आवंटन में तकनीकी शिक्षा के लिए 5660 करोड रुपए निर्धारित किए गए हैं।

तकनीकी शिक्षा पर जोर
तकनीकी शिक्षा के लिए 36 फीसदी की बढोत्तरी काफी प्रभावकारी है, क्योंकि तकनीकी शिक्षा के द्वारा ही किसी देश में स्किल्ड मैनपावर पैदा होती है। चीन के विकास में तकनीकी शिक्षा काफी अहम साबित हुई है, लेकिन अब देश की न केवल साक्षरता दर बढ रही है बल्कि भारत तकनीकी रूप से स्किल्ड लोगों का हब भी बनता जा रहा है। भारतीय तकनीशियनों व प्रोफेशनल्स का आज पूरी दुनिया लोहा मानने लगी है। इस बजट के बाद और भी प्रगति की सभावनाएं हैं। भारत में प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर पर्याप्त शिक्षा व्यवस्था और गुणवत्ता की जरूरत लगातार महसूस की जा रही है। इसके लिए हर स्तर पर बडे पैमाने पर बदलाव भी किए जा रहे हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा मानव संसाधन के विकास के लिए नवीन नीतियों के क्रियान्वयन की दिशा में उठाए गए कदमों को देखते हुए भविष्य में बडे पैमाने पर प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होगी। एक मोटे अनुमान के अनुसार अगले पांच वर्र्षो में सरकारी और गैर-सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक क्षेत्रों में लगभग 10 लाख नवीन पदों का सृजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त लगभग 5 लाख अन्य पदों का भी सृजन किया जाना है। यह सेक्टर आने वाले वक्त में एक विशाल इम्प्लॉयर के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। बजट में वित्तमंत्री द्वारा आवंटित की गई धनराशि से नए अध्यापकों के पदों को आसानी से सृजित किया जा सकेगा।

मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई

हाल के वर्र्षो में देश के रिटेल सेक्टर ने काफी तरक्की की है। आज युवाओं के लिए यह हॉट सेक्टर है, जिसमें लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष जॉब निकल रहे हैं। भारत का संगठित रिटेल सेक्टर काफी तेजी से बढ रहा है और दुनिया के 10 सबसे तेजी से बढने वाले रिटेल मार्केट में से एक है। आने वाले वक्त में इसके और भी तेजी से बढने की संभावना है। मेरिल लिंच रिसर्च कंपनी द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार आने वाले समय में मॉल कल्चर का प्रसार छोटे शहरों में भी होगा। बजट पूर्व घोषित की गई आर्थिक समीक्षा में एक महत्वपूर्ण बात यह कही गई कि मल्टी ब्रांड रिटेल में फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट की धीरे-धीरे अनुमति देनी होगी। यह एक महत्वपूर्ण घोषणा है, क्योंकि अभी तक सिंगल ब्रांड रिटेल में ही फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट की अनुमति है। अगर मल्टीब्रांड रिटेल में यह अनुमति मिल जाती है, तो रिटेल सेक्टर का अभूतपूर्व प्रसार हो सकता है।

रन करेगा रेलवे

भारतीय रेलवे का एशिया में प्रथम स्थान है। भारतीय रेलवे को देश का सबसे बडा इम्प्लॉयर होने का श्रेय प्राप्त है। रेलवे का दूर-दराज के इलाके में लगातार विस्तार और बडे शहरों में मेट्रो परियोजनाओं का प्रसार आने वाले वक्त में युवाओं के लिए बडी संख्या में जॉब्स के अवसर खोलने जा रहा है। वर्ष 2011-12 के रेलवे बजट में रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अगले वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा 57,630 करोड रुपए योजनागत व्यय करने की योजना बनाई है। अगले वित्त वर्ष में रेलवे अपने नेटवर्क का व्यापक विस्तार करेगी और कई नई रेलगाडियां चलाएगी। इससे आने वाले वर्ष में रेलवे में काफी नौकरियां निकलेंगी, जिसका लाभ युवाओं को मिलेगी। साथ ही रेलवे बजट में मार्च 2011 तक 16 हजार पूर्व सैनिकों की भर्ती का लक्ष्य भी रखा है।

बडी चुनौती, बडा अवसर

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारी बडी जनसंख्या का लाभ यह है कि हमारे देश में अन्य विकासशील देशों की तुलना में युवा वर्ग की संख्या बहुत ज्यादा है। यह एक बडी चुनौती के साथ हमारे लिए एक बडा अवसर भी है। सन 2025 तक देश की 70 फीसदी तक जनसंख्या वर्किंग पॉपुलेशन होगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि माध्यमिक शिक्षा को सभी तक पहुंचाया जाए, उच्च शिक्षा में लोगों की संख्या बढे और लोगों को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दी जाए। देश की युवाशक्ति को अधिक से अधिक जॉब मिले, इसके लिए 2011-12 से केंद्र सरकार सेकेंडरी एजुकेशन में वोकेशनल एजुकेशन को शामिल करने के लिए एक स्कीम लांच करेगी।

नेशनल नॉलेज नेटवर्क

बजट में नेशनल नॉलेज नेटवर्क का प्रस्ताव भी रखा गया है, जिसके द्वारा हायर एजुकेशन और रिसर्च के 1500 इंस्टीट्यूट्स को आपस में जोड दिया जाएगा। इसी वर्ष मार्च के अंत तक देश के 190 इंस्टीट्यूट आपस में जोड दिए जाएंगे, जबकि बाकी इंस्टीट्यूट मार्च 2012 के अंत तक जोड दिए जाएंगे। नेशनल नॉलेज नेटवर्क का सबसे बडा फायदा यह होगा कि इससे देश के कई इंस्टीट्यूट आपस में जुडकर सूचना व नॉलेज का आदान-प्रदान करेंगे।

2022 तक 15 करोड स्किल्ड मैनफोर्स

कुछ वर्ष पूर्व देश में कुशल लोगों को पैदा करने के लिए नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल की स्थापना की गई थी। वित्त मंत्री के अनुसार नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल अपने लक्षित वर्ष 2022 के दो वर्ष पूर्व ही 15 करोड लोगों की स्किल्ड मैनफोर्स तैयार कर देगी। यह स्किल्ड मैनफोर्स युवा वर्ग से ही होगी, जिससे आने वाले वक्त में उन्हें जॉब मार्केट में जॉब हासिल करने में काफी आसानी होगी। अब तक इस काउंसिल को 26 प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 658 करोड रुपए की धनराशि प्रदान की जा चुकी है। 2010-11 के दौरान 20,000 लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है, जिसमें से लगभग 75 फीसदी लोगों को जॉब भी मिल चुका है।

बैंकिंग में बूम

सरकारी बैंकों में नौकरी करने के इच्छुक युवाओं के लिए हाल का समय काफी अच्छा रहा है। यही कारण है कि बैंक में इस समय युवाओं के लिए काफी अवसर मिल रहे हैं और भविष्य में बढने के संकेत भी हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अगले तीन वर्षों के दौरान 85,000 नई नियुक्तियां करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 2011-13 के दौरान 34,000 अधिकारियों तथा 51,000 क्लर्र्को की नियुक्ति की योजना है। आम बजट (2011-12) में वित्त मंत्री ने कई ऐसे कदमों की घोषणा की है, जिससे आने वाले वक्त में बैंकिंग सेक्टर का प्रसार होगा। अगले साल के अंत तक नई बैंकों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे। साथ ही सरकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पूंजी देने का भी प्रस्ताव है। पूंजी पर्याप्तता अनुपात को 8 फीसदी के स्तर पर बनाए रखने के लिए सरकार अगले वित्त वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 6000 करोड रुपए की पूंजी उपलब्ध कराएगी। बजट में किए गए इन प्रावधानों से निश्चित रूप से सरकारी व प्राइवेट दोनों ही तरह के बैंकों में जॉब अपॉर्चुनिटीज पैदा होगी। सरकार जिस तरह के प्रावधान कर रही है, उससे दोनों क्षेत्रों की बैंकों के बीच कडी प्रतिस्पर्धा होगी, जिसकी वजह से बैंक अपने कस्टमर बेस को बढाने व उसे मेन्टेन रखने के लिए अधिक इम्प्लाई रखेगी, नतीजतन अधिक युवा वर्ग के लिए अधिक जॉब्स की संभावनाएं खुलेंगी।

इंश्योरेंस में ईजी

प्राइवेट सेक्टर के इस क्षेत्र में प्रवेश के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन का आज भी इस क्षेत्र में आधिपत्य है। इंश्योरेंस सेक्टर में प्राइवेट क्षेत्र की कंपनियों के न बढने का सबसे बडा कारण एफडीआई की सीमा को माना जाता है। इस बजट में वित्तमंत्री ने बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पेश करने की बात कही है। भारत में काम कर रही ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियों के साथ विदेशी साझीदार जुडे हुए हैं। इंश्योरेंस विधेयक में मौजूदा एफडीआई को 26 फीसदी से बढाकर 49 फीसदी करने का प्रस्ताव है। इस विधेयक के पारित हो जाने से इस क्षेत्र में भारी मात्रा में एफडीआई आएगा और नतीजतन भारी संख्या में जॉब्स पैदा होगा। इसलिए आने वाले वक्त में युवा वर्ग के लिए इस सेक्टर में भारी संख्या में संभावनाएं मौजूद होंगी। प्राइवेट सेक्टर से तगडी चुनौती मिलने पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने का प्रयास करेंगी जिसका नतीजा अधिक जॉब्स के रूप में सामने आएगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर में आएगी बहार

1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से ही केंद्र सरकार ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए काफी काम किया है। 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 5 लाख करोड रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा गया है, जिसे शायद हासिल भी कर लिया जाएगा। इस बजट की खास बात यह है कि इसमें नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पॉलिसी बनाने की बात की गई है। इस क्षेत्र की वित्तीय मुश्किलों को देखते हुए कॉर्पोरेट बॉन्ड में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टमेंट निवेश की सीमा 5 साल की मेच्योरिटी के साथ 20 अरब डॉलर से बढाकर 25 अरब डॉलर कर दी गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां 2011-12 में 30,000 करोड रुपए का कर रहित बॉन्ड जारी कर सकेंगी, जिससे रेलवे, बंदरगाह, हाउसिंग और नेशनल हाइवे क्षेत्र को मदद भी मिलेगी। अगले वित्त वर्ष में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर 2.14 लाख करोड खर्च करेगी और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने की बात कही है। इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की न केवल देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, बल्कि यह इम्प्लॉयमेंट मुहैया कराने वाला भी प्रमुख क्षेत्र है। सरकार के इन कदमों का प्रभाव इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर जबर्दस्त पडेगा। देश को अब अधिक इंजीनियरों की जरूरत पडेगी।